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Hearing Impaired
श्रवणबाधित क्षमता विकास प्रकोष्ठ (प्रणव)

भारत की जनसंख्या में 2011 जनगणना के आधार पर 2.68 करोड़ दिव्यांग बन्धु हैं | इनमें से 18.9 % श्रवण बाधित दिव्यांगता से ग्रसित हैं Iदिव्यांगजन अधिनियम 2016 (RPD Act) के अनुसार

(क) “श्रवण शक्ति का ह्रास“:

  1. ”बधिर” से दोनों कानो में संवाद आवृत्तियों से 70 डेसिबल श्रव्य ह्रास वाला व्यक्ति अभिप्रेत है I
  2. ”ऊँचा सुननेवाला व्यक्ति” से दोनों कान से 60-70 डेसिबल श्रव्य ह्रास्य व्यक्ति अभिप्रेत है I

(ख) ”अभिवाक और भाषा निशक्तता:

  1. से लेरैन्जेक्टोमी या अफेसिया जैसी स्थितियों से उद्भूत स्थायी निशक्तता अभिप्रेत है जो कार्बनिक या तंत्रिका संबंधी कारणों के कारण अभिवाक और भाषा एक या अधिक संकटों को प्रभावित करती है I

चिकित्सीय पहलू:

श्रवणबाधित दिव्यांगता को 3 प्रकार में वर्गीकरण कर सकते है: 

  1. श्रवण क्षमता के आधार पर (Decibles): सामान्य (25 dB), मृदुल (26-40 dB), मध्यम (41-55 dB), मध्यम गहन (56-70 dB), गहन (71-90dB), कठोर (90+ dB)
  2. जन्म के आधार पर: जन्म के पूर्व, जन्म के समय, जन्म के बाद |
  3. कान के स्थिति के अनुसार: 
    • Conductive Deafness: कान के परदे या कान की हड्डियों में समस्या के कारण (अस्थायी)
    • Sensory Neural Deafness: श्रवण संबंधित नस में समस्या के कारण (स्थायी)श्रवण बाधिता के विभिन्न प्रकारों एवं उसकी गहनता के आधार पर बालक के भाषा विकास एवं सम्प्रेषण पर प्रभाव पड़ता है- चिकित्सीय प्रबंधन: जन्म के पूर्व माता पिता के जैविकी एवं आनुवंशिकी जांच, माता का टीकाकरण एवं उचित पोषण के द्वारा श्रवण बाधिता को रोका जा सकता है | जन्म के समय बालक का स्वास्थ्य एवं ज्यांडिश, अपरिपक्व जन्म,जन्मरुदन इ. विषयपर उचित एवं प्रभावी चिकित्सा सुविधा प्रदान कर के श्रवण विकलांगता को रोका जा सकता है I जन्म के बाद: चार सप्ताह से तीन साल तक: शीघ्र पहचान एवं उपचार (Early Detection & Early Intervention) ऑडियोलॉजिस्ट, ENT विशेषज्ञ द्वारा जांच कराकर के उपयुक्त श्रवणयंत्र प्रदान करके वाणी - भाषा थेरपी (Audio Verbal Therapy) प्रारम्भ किया जाए I जिन बच्चों को श्रवण यंत्र से लाभ नहीं होता है, जिनको श्रवण संबंधित नस है तो, उनको काकेलिया इंप्लांट शस्त्रचिकित्सा कर सकते है I काकेलिया इंप्लांट के पश्चात स्पीच थेरपी एवं उपयुक्त अनुवर्ती कार्यक्रमद्वारा श्रवण बाधित को मुख्य धारा में ला सकते है I वर्तमान समय मे पुणे में सक्षम संलग्नित ‘स्वरनाद’ प्रकल्प में उपयुक्त एवं अनुकरणीय कार्य हो रहा हैं, बच्चो को शीघ्र पहचान कर के उनका काकेलिया इंप्लान्ट करा के, अभिभावक प्रशिक्षण के माध्यम से मुख्य धारा में लाने का एक मॉडल विकसित कर दिया है | हैदराबाद के नीलोफर चिकित्सालय में सक्षम का ‘प्रणव’ प्रकल्प में प्रत्येक जन्म लेने वाले बालक का O.A.E जांच कर रहा है, इस मे श्रवण बाधिता बालको का श्रवण यंत्र, काकेलिया इंप्लान्ट एवं शिक्षा प्रदान करके मुख्य धारा में शामिल कर रहा है | विजयनगरम (आन्ध्र) में सक्षम का प्रणव प्रकल्प में एक अनोखा काकेलिया इमप्लेंटी अभिभावक प्रशिक्षण केंद्र चल रहा है I

शैक्षणिक पहलू:

श्रवणबाधित दिव्यांगता को 3 प्रकार में वर्गीकरण कर सकते है: 

  1. ऑडियो वर्बल विधि : इस पद्धति के द्वारा बालक को शीघ्र पहचान करके काकेलिया इंप्लान्ट करके या उपयुक्त श्रवण यंत्र देकर सुनना, बोलना, सुन कर बोलने और पढने पर जोर दिया जाता है I सम्प्रेषण भाषा विकास करते हुए सामान्य शिक्षा की ओर ले जाते है | वाणी एवं भाषा थेरपि करके सामान्य बालक की तरह विकसित किया जाता है I
  2. सांकेतिकभाषा: अधिकांश श्रवण बाधित व्यक्ति बड़े होने पर सांकेतिक भाषा का प्रयोग करते है इसमें विभिन्न प्रकार के सांकेतिक माध्यम से अपने विचारों को व्यक्त करते है यह अन्य भाषाओं की तरह ही है, इसके द्वारा सम्प्रेषण एवं शिक्षा प्रभावी ढंग से होती है |
  3. वाणीवाचन:  मुख की गति, हावभाव एवं  बनावट को देखकर सांकेतिक भाषा को समझने को वाणी वाचन कहते है इसके द्वारा श्रवण बाधितों को एक दूसरे की भाषा को समझने में सुविधा होती है |

  4. कला, कम्पूटर आदि की शिक्षा: श्रवण बाधित बालको के लिए कला, चित्रलेखन, कम्पूटर, एनिमेशन जैसे आधुनिक विषयो में अध्ययन करा के आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है |
  5. तकनीतिकी एवं व्यसायिक शिक्षा: श्रवण बाधितों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वर्तमान समय मे उपलब्ध संस्थाओं में तकनीतिकी पाठ्यक्रम का प्रशिक्षण दिलाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है |

श्रवणबाधित क्षमता विकास प्रकोष्ठ द्वारा जिला स्तर पर करणीय कार्य:

  1. जागरूकताकार्यक्रम: विश्व श्रवण दिवस (3मार्च), हेलन केलर जयंती (27जून), विश्व बधिरता दिवस (सितम्बर माह के अन्तिम रविवार) | इसके द्वारा श्रवण बाधित उनके अभिभावक ,चिकित्सक, विशेषज्ञ एवं विभिन्न संस्थाओं से संपर्क स्थापित करके उनके सहयोग के साथ विभिन्न प्रकार के पुनर्वसन कार्यक्रम किये जा सकते हैं |
  2. श्रवण दिव्यंगता से जुड़े E.N.T डाक्टर या थेरोपिस्ट, ऑडियोलॉजिस्ट, विशेष शिक्षक, इस क्षेत्र में कार्यरत सरकारी एवं गैर सरकारी संगठन से संपर्क कर के दिव्यांगों एवं उनके अभिभावकों को परामर्श उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा सकती है I श्रवण क्षमता का जाँच एवं चिकित्सा शिबिर का आयोजन किया जा सकता है |
  3. श्रवण बाधित व्यक्तियों को श्रवण यंत्र या उनके सुधार या तार एवं बैटरी उपलब्ध कराई जा सकती है I काकेलिया इंप्लांट के लिए बच्चो के चयन, उनके ऑनलाइन फार्म भराने एवं अन्य सहायक सेवा उपलब्ध किया जा सकता है |
  4. केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध उपकरण सहायता कार्यक्रमो का आयोजन या सहयोग किया जा सकता है I
  5. अभिभावकों को इनसे जुड़ी चुनैतियों एवं सुविधाओं का प्रशिक्षण कार्यक्रम किया जा सकता है | श्रवण बाधितों के परिवार के लिए कुटुंब प्रबोधन का कार्यक्रम किया जा सकता है I
  6. सक्षम के कार्यकर्ताओं को श्रवण यंत्र, काकेलिया इंप्लांट एवं सांकेतिक भाषा जैसे तकनीकी विषयो का प्रशिक्षण कार्यक्रम किया जा सकता है |
  7. श्रवण दिव्यांगों के लिए सरकारी रोजगार, प्राइवेट रोजगार, स्वरोजगार एवं स्वयं सहायता समूहों द्वारा आत्मनिर्भर बनाने के कार्यक्रम किया जा सकता है |
  8. श्रवणबाधितों के सामाजिक, साँस्कृतिक एवं खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन किया जा सकता है |
  9. ऐसे लोगो के लिए विवाह एक कठिन चुनौती होती है I इसके लिए वर -बधू परिचय एवं सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन कर सकते है |
  10. एक सफल प्रयोग: सक्षम द्वारा संचालित काक्लिया पुणे के लिए निधी संकलन करने हेतु, सेवा UK के सहयोग से 90 विदेशी भारतीय द्वारा ऑटो रिक्शा रन आयोजित किया गया I कुल 11 दिन में कन्याकुमारी से कर्णावती तक 2700 किमी का यात्रा हुई I

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