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Blood Related Disabilities
रक्तबाधित क्षमता विकास प्रकोष्ठ (प्राणदा)

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016 में RPD Act के अंतर्गत 3 प्रकार के रक्तबाधित पीडितों को विकलांगता में शामिल किया था I भारत वर्ष में लगभग 3 लाख से ज्यादा लोग रक्त बाधित दिव्यांग है I

  1. थेलेसेमिया
  2. हिमोफिलिया
  3. सिकल सेल अनेमिया

थेलेसेमिया:

  1. से वंशानुगत विकृतियों का एक समूह अभिप्रेत है जिसकी विशेषता हिमोग्लोबिन की कमी या अनुपस्थिति है I माता एवं पिता से थेलेसेमिया विकृत गुणसूत्र एक साथ मिलने पर थेलेसेमिया मेजर बीमारी प्रकट होती है I केवल एक विकृत गुणसूत्र होनेपर थेलेसिमिया माईनर या केरियर (वाहक) बनते है I इस बीमारी से ग्रसित बच्चे में रक्त नहीं बनता है I अतः तीन माह की आयु से जीवन पर्यंत हर सप्ताह नियमित रक्त चढ़वाना पड़ता है I इस कारण बच्चे कमजोर, विभिन्न प्रकार की रक्तजनित बीमारियों (HIV, Hep B, Hep C Etc.) से ग्रसित होते रहते है I बार बार रक्त लेने के कारण शरीर में आयरन निक्षिप्त होती है इसलिए Iron Chelating दवाइयाँ लेनी पड़ती है I 7 वर्ष से कम उमर के बच्चो को बोन मेरो प्रत्यारोपण किया है तो, जीवनभर रक्त लेने की जरुरत नहीं होती है I विवाह के पहले, गर्भधारण के पहले रक्त परीक्षा, गर्भ के समय गर्भस्थ भ्रूण / शिशु का परीक्षण किया जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है I I

हिमोफिलिया:

  1. एक अनुवांशिकीय रोग अभिप्रेत है जो प्रायः पुरुषों को ही प्रभावित करता है किंतु इसे महिला द्वारा अपने पुरुष बालकों को संप्रेषित किया जाता है, इसकी विशेषता रक्त के थक्का जमने की साधारण क्षमता का नुकसान होता है जिसे गौण घाव का परिणाम भी घातक रक्तस्राव हो सकता है I शरीर के अंदरूनी अंगों में भी रक्तस्राव होने के कारण विकलांग बनते है I ऐसे मरीजों को रक्त की अंग Anti Hemophilic Factors VIII & IX (AHF) जीवनभर देना पड़ता है I I

सिकलसेल अनेमिया:

  1. से हेमोलेटीक विकास अभिप्रेत है जो रक्त की अत्यंत कमी पीड़ादायक घटनाओं और जो सहबद्ध टिशुओं और अंगों को नुकसान से विभिन्न जटिलताओं में परिलक्षित होता है I हेमोलेटीक लाल रक्त कोशिकाओं की कोशिका जिल्ली को नुकसान को निर्दिष्ट करता है जिसका परिणाम हिमोग्लोबिन का निकलना होता है I 

रक्तबाधित क्षमता विकास प्रकोष्ठ (प्राणदा) द्वारा जिला स्तर पर करणीय कार्य:

  1. समाज में जागरूकता लाने के लिए और उस संबंधित व्यक्तिओं संस्थाओं को जोड़ने के लिए- विश्व हिमोफिलिया दिवस (17 अप्रैल), विश्व थालेसेमिया दिवस (8 मई), विश्व सिकलसेल दिवस (19 जून), विश्व रक्तदाता दिवस ( 14 जून) इ. कार्यक्रम मनाईये I
  2. ब्लड बैंकों में रक्त की आपूर्ति हेतु नियमित स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देना I इसके लिए नियमित रक्तदान शिबिर, रक्तदाता डायरेक्टरी की व्यवस्था कर सकते है I
  3. Iron Chelating दवाइयाँ, Anti Haemophilic Factors (AHF) उपलब्ध करवाना I
  4. बोन मेरो प्रत्यारोपण के लिए दानदाता या सरकार के माध्यम से मदत कर सकते है I
  5. अभिभावक समूह को उद्बोधन, नियमित समुपदेशन (Counselling) एवं बच्चों की सामाजिक गतिविधियाँ आयोजित करवाना I इनके स्वावलंबन के बारे में प्रयास करना I
  6. विवाह पूर्व जेनेटिक काउंसलिंग, महाविद्यालयीन छात्रों में जागरूकता कार्यक्रम, विवाह समारोह या बड़े कार्यक्रमों में प्रदर्शनी, उद्बोधन इ. कर सकते है I

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